चलता था कारवाँ जब तक सब साथ लिये चलते थे! चलता था कारवाँ जब तक सब साथ लिये चलते थे!
लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है। लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है।
हम दो, हमारे दो, तो सबके ही दो...। हम दो, हमारे दो, तो सबके ही दो...।
झूठे समाज के लोग...। झूठे समाज के लोग...।
रोज़ बेचते ईमान देखा...! रोज़ बेचते ईमान देखा...!
महंगाई के बारे में एक कविता...। महंगाई के बारे में एक कविता...।